मोदी सरकार की नई पहल अगर कामयाब रही तो लाखों स्टूडेंट्स को प्राइवेट और सरकारी नौकरी के लिए अलग-अलग दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। केंद्र ऐसा सिस्टम बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है जिससे स्टूडेंट्स एक ही एग्जाम पर फोकस कर दोनों क्षेत्रों में जा सकते हैं। यानी एक ही प्लेटफॉर्म से सरकारी और प्राइवेट, दोनों नौकरियों के विकल्प खुल जाएंगे। इसके लिए उन्हें अलग-अलग मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। नीति आयोग और पीएमओ मिलकर इसके लिए रोडमैप बना रहे हैं। यह काम साल के आखिर तक होने की उम्मीद है। रिपोर्ट तैयार होने के बाद सरकार प्राइवेट कंपनियों से बात करेगी।
पिछले हफ्ते सरकार ने यूपीएससी एग्जाम में बैठे सभी कैंडिडेट्स के नंबरों को ऑनलाइन शेयर करने का फैसला किया था। इसका मकसद था कि प्राइवेट कंपनियां इन नंबरों के आधार पर अपने लिए योग्य कैंडिडेट सिलेक्ट कर सकती हैं। यानी कंपनियों को अलग से लंबी चयन प्रक्रिया चलाने की जरूरत नहीं होगी। इसी आधार पर अगले कुछ महीने में एसएससी, रेलवे, बैंकिंग या ऐसे तमाम एग्जाम लेने वाली एजेंसियां भी कैंडिडेट्स के नंबरों को पब्लिक डोमेन में डालेंगी। सरकार इसके लिए एक खास वेबसाइट बना रही है। वेबसाइट पर मौजूद स्टूडेंट्स के डाटा को नैशनल करियर सेंटर से जोड़ा जाएगा।
सरकारी नौकरी के लिए फॉर्म भरते वक्त ही स्टूडेंट से पूछा जाएगा कि क्या वे अपने नंबरों को सार्वजनिक करना चाहते हैं। जो स्टूडेंट इसके लिए सहमत होंगे उन्हीं के नंबर वेबसाइट पर डाले जाएंगे। सरकारी और प्राइवेट नौकरियों के बीच गैप भरने के मकसद से बनाए जा रहे इस प्रॉजेक्ट से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि आने वाले समय में प्रतियोगी परीक्षाओं के पैटर्न में कुछ बदलाव संभव है। ऐसा इसलिए ताकि कैंडिडेट की स्किल का पूरा अंदाजा लगाया जा सके।
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