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Junior Hockey World Cup : प्रेरणादायक है जूनियर हॉकी टीम के सितारे शारदानंद की कहानी

Mahendra Guru
कोई यूं ही सितारा नहीं बन जाता। बेल्जियम के खिलाफ जूनियर विश्व कप हाकी के क्वार्टर फाइनल में गोल दागने वाले शारदानंद तिवारी की शून्य से शिखर तक की यात्रा कितनी कठिन रही है, इसकी अनुभूति उनके छोटे से आवास पर जाकर ही की सकती है। डीएम सर्वेंट क्वार्टर में रहने वाले शारदानंद का जूनियर टीम तक का सफर रील लाइफ की तरह जरूर लगता है, लेकिन असल जिंदगी की कहानी झकझोर देने वाली है।

विश्व कप में गोल जमाने के बाद चर्चा में छाए शारदानंद के करियर की राह में पहाड़ सी चुनौतियां आईं, जिनको उन्होंने अपनी मेहनत, अनुशासन और घरवालों के समर्पण से दूर किया। पिता गंगा प्रसाद तिवारी जिलाधिकारी के स्कार्ट की गाड़ी चलाते हैं और वहीं परिसर में पीछे कर्मचारी आवास में परिवार सहित रहते भी हैं। गुरुवार को 'दैनिक जागरण' की टीम उनके घर पहुंची तो पिता गंगा प्रसाद तिवारी खुशी से रोने लगे और बोले, "बेटे ने जिंदगी भर की मेहनत सफल कर दी। मेरे बेटे ने बहुत मेहनत की है। हाकी खेलने के लिए पैसे नहीं थे तो रात में सहारागंज माल जाकर सामान की ढुलाई करता था।"


पिता ने बताया, "वहां काम नहीं मिलता तो किराना स्टोर में सामान की पैकिंग करता। रात भर में उसे दो-तीन सौ रुपये मिल जाते। इसके बाद सुबह उठकर हाकी का अभ्यास करने निकल जाता। सोने की फिक्र न खाने की। हमेशा कहता था बस हाकी खेलनी है। मैने भी उसे रोका नहीं। कक्षा छह से वह नेशनल कालेज मैदान जाने लगा था। एक दिन कोच ने बुलाया और कहा, बेटा बहुत अच्छी हाकी खेलता है। इसे रोकना नहीं। मैं होमगार्ड हूं, वेतन में मुश्किल से ही गुजारा होता है। बच्चे का मन रखने के लिए अपनी खुशियों को कुर्बान करता रहा। आज लग रहा है जिंदगी भर की मेहनत सफल हो गई।"

बेटा खेले इसके लिए उधार से घर चलाया

शारदानंद की मां रानी तिवारी का बेटे की बात करते-करते गला रुंध गया। बोलीं, पति की कमाई से काम नहीं चलता था। तीन बेटे हैं जिसमें शारदानंद दूसरे नंबर पर है। शारदा आगे बढ़े कुछ नाम करे, इसके लिए लोगों से उधार तक मांगना पड़ा। दिन भर अभ्यास करने के बाद रात को काम करने जाता था। एक मां के लिए यह सब बहुत मुश्किल था, लेकिन इसके अलावा कोई रास्ता भी नहीं था। भगवान ने हम लोगों की सुन ली और आज बच्चे ने नाम कर दिया। टीवी पर कल उसे गोल करते देखा तो अब तक के सारे दुख दर्द भूल गई।



जो गाड़ी चलता था उसे डीएम ने सम्मानित किया

एक पिता के लिए शायद इससे बड़ी और क्या उपलब्धि हो सकती है कि उसके बेटे की सफलता के लिए जिले का सबसे बड़ा अधिकारी सम्मानित करे। शारदानंद के पिता गंगा प्रसाद को आज डीएम अभिषेक प्रकाश ने कार्यालय बुलाकर सम्मानित किया तो सभागार में भावनाएं उमड़ पड़ी। डीएम ने गंगा प्रसाद से कहा कि मैं आपको रोज गाड़ी के साथ देखता था, लेकिन आज सम्मानित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। जिस तरह शारदानंद ने आपका सीना गर्व से चौड़ा किया, हर बच्चा अपने पिता का करे। आपने जो त्याग और परिश्रम किया वह सफल रहा।


शारदानंद बनेगा ब्रांड एंबेस्डर

डीएम ने कहा कि घर वापसी पर शारदानंद का बड़ा सम्मान किया जाएगा और उसे प्रशासन की तरफ से सहायता भी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा युवा वोटरों को प्रेरित करने के लिए जिला निर्वाचन कार्यालय की तरफ से उसे ब्रांड एंबेसडर भी बनाया जाएगा।

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